लेमेन्स इवैंजलिकल फैलोशिप इंटरनैशनल

संदेश-उपदेश


विश्वास में बढ़ना
(Growing in Faith)


"वर्ष में तीन बार तेरे सब पुरुष इस्त्राएल के प्रभु यहोवा परमेश्वर के सामने पेश हों।"

परमेश्वर ने इस्त्राएलियों को वर्ष में तीन बार अपने सम्मुख आने को कहा। यह खर्चीला होता होगा। साथ ही समय भी खर्च होता होगा। परमेश्वर ने कहा - "पहलौठे मेरे हैं।" आज्ञाकारिता, हमें परमेश्वर में ज्यादा विश्वास रखना सीखाती है। हमारे लिये परमेश्वर को चीजों को भेंट करना या समर्पित करना ज्यादा सहज है। लेकिन आत्मा की शक्ति ज्यादा प्रमुख है। इसका विकास अधिक हो सकता है। आपके विचार नबूवतपूर्ण हो सकते हैं। जो लोग आपसे संबंध रखते हैं वे महसूस करते हैं कि आप जीवित बिजली की तार जैसे हो। नबी ऐसे ही होते हैं। आप समय के साथ निश्‍चय ही दूसरों से भिन्न होंगे। आपने जीवन भर, आपका केवल एक ही अभिप्राय होना चाहिये कि आप प्रभु यीशु को महिमान्वित करें और आत्माओं को प्रभु के पास लाएं। आप विश्वास की इतनी ऊंचाई पर पहुंचेंगे जहां से नहीं गिरेंगे। हमारा विश्वास सही स्त्रोतों (जल चाराओं) से हो कर दौड़ेगा और वह गहराई और चौड़ाई में बहेगा जब तक कि समाज में प्लावन (बाढ़) न आ जायें।

जितनी जल्दी आप परमेश्वर की इच्छा करेंगे। आपकी अपनी स्वार्थी इच्छा नष्ट होती जायेगी। अतिशीघ्र आप आशिषों की भरपूरी को देख पायेंगे। परमेश्वर और आप आनंदित होंगे। आपके उध्दार का आनन्द भरपूर होगा। आप स्वर्गीय स्त्रोत में तैरेंगे।

मूसा परमेश्वर की उपस्थिति में गया और चमकते हुए चेहरे के साथ वापस आया। वह आपकी तरह ही सामान्य मनुष्य था। पर कैसे भिन्न हुआ! किसने उसको यह सम्मान दिया? परमेश्वर! हमारा चलना, दिखना और जीने का तौर-तरीका लोगों के लिये शिक्षा होना चाहिया। मसीही होना महान विशेषाधिकार है। अनुग्रह में बढ़िये। प्रभु में आनन्दित रहें।



- एन दानिएल।

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