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संदेश-उपदेश |
'जो मुझसे हे
प्रभु। हे प्रभु।
कहता है, उनमे से हर
एक स्वर्ग
के राज्य
मे प्रवेश
न करेगा।' |
मत्ती (7:1-29) 'जो मुझसे
हे प्रभु।
हे प्रभु।
कहता है
उनमे से
हर एक स्वर्ग
के राज्य
मे प्रवेश
न करेगा।' मसीहत तो अन्तत:
परमेश्वर
की इच्छा
करने तक
ही सीमित
रह गई
है। आप
परमेश्वर
के वचन
को हल्की
रीति से
नजरअंदाज
नही कर
सकते। हमारे बोलने
और करने में
बहुत बड़ा
अंतर है।
कई बार प्रार्थना
एक अभ्सास
और नकल
बन कर रह
जाती है।
हम मुहावरे
सीखते है और बोलचाल में उनका इस्तेमाल करते है।
मसीह कलीसिया
इससे भरी
है। हम
उसे प्रभु।
प्रभु। पुकारते है मतलब
एकमात्र स्वामी। जब वह हमारा एकमात्र
स्वामी हैं तो
परमेश्वर
के राज्य
के सारे
अधिकार हमारे हो
जाते है।
यदि आप
अपने वचनो,
क्रियाओ और रिश्ते
में परमेश्वर
की इच्छा
करने से बिना दाये
या बाये
हाथ को
नही हटते, तो राज्य
(परमेश्वर
का राज्य)
के सारे
अधिकार आपके हो
जाते है।
ये राज्य
जिम्मेदारियों और
अधिकारो का है।
हमें सकरे
मार्ग से ही अन्दर पहुँचना है।
पश्चाताप
हमारी मनोदशा को परमेश्वर
पर विश्वास
और आज्ञाकारिता
पूरी करने की स्थिति
में ले
आता है।
यह संभव है
कि हम
यीशु को
प्रभु माने बिना
ही उसके
नाम से
चमत्कार करें और
बुरी आत्माओ
को बाहर
निकाले। यदि आपने परमेश्वर
को एकमात्र
स्वामी बनाया है, तो आप एकमात्र शासक बन
जाते है।
मूसा ने
परमेश्वर
को अपना
एकमात्र स्वामी बनाया। मूसा एकमात्र
शासक बना।
परमेश्वर
ने यहोशू
से कहा
कि उसे
परमेश्वर
के वचन
का पालन करने के
लिए उनका
मनन करना
होगा। जो
परमेश्वर
के राज्य
के नियमों
का पालन
करते है
उन्हे प्रकृति भी पहचानती
है। अमरीका तो आसानी
से आपको
उसके समुद्री
किनारो पर रुकने
और ठहरने
न देगा। अमरीकी नागरिको के पास
बहुत से
अधिकार होते है
आप उस
देश मे
जरूरी कागज़ात के बिना
प्रवेश नही कर
सकते। वह मनुष्य
जो परमेश्वर
के राज्य
मे प्रवेश
करना चाहता
है उसको
इसे व्यवसाय
की रीती
से लेना
होगा। यदि आप
एक कदम
आगे बढ़ते
है तो
वह आपको
नौ कदम
आगे ले
जाएगा। वह वही
है जो
आपको ले
जाता है।
आप देखेगें
की आप
नही जी
रहे है
वरन ख्रिष्ट
आप मे
जी रहा
है। आप
देखेगें की आप कार्य नही
कर रहे
है वरन
ख्रिष्ट कार्य कर
रहा है। मरकुस (10:19,
20) 'तू आज्ञाओ
को तो
जानता है हत्या
न करना, व्यभिचार न
करना, चोरी
न करना, झूठी गवाही
न देना, छल न करना
अपने पिता
और माता
का आदर
करना। उसने उससे
कहा हे
गुरु। इन सब आज्ञाओ को मैं
अपने लड़कपन
से मानता
आया हूँ।'
इस धनी
शासक को
झूठा सन्तोष
था कि
वह सारी
आज्ञाओ को अपने
लड़कपन से मानता
आया है।
लोग तो
बहुत आसानी
से कहते
है कि
वे बहुत
वर्ष पहले
उनका हृदय परिवर्तन
हुआ था। लेकिन
साक्ष्य कहा है?
यह आशिष
भरा जीवन
है। आप
परमेश्वर
के राज्य
के सदस्य
है। यीशु
और परमपिता
आएंगे और आप के साथ
रहेंगे। आइये इन
अधिकारो का सम्पूर्ण
आज्ञाकारिता
के द्वारा
सुख उठाये।
यहां तक
कि लोग
आपको बुरा
कहे और
सताये फिर
भी आप परमेश्वर के वचन
पर स्थिर
रहिये, आप देखेगें
कि कोई
आपको, आनंद,
जय और
सफलता के स्तर
तक उठा
रहा है। - श्री एन.
दानिएल |
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