लेमेन्स इवैंजलिकल फैलोशिप इंटरनैशनल

संदेश-उपदेश


हिजकिय्याह का विश्वास
(The faith of Hezekiah)




हिजकिय्याह ने उस पत्र को यहोवा के सामने फैला दिया। उसे एक महान राजा से एक धमकी भरा पत्र मिला था। वह काफी भाग्यवान था जो यशाय्याह के विश्वास को गवाही के रूप में देख सका। दोनो की ही अपनी-अपनी परीक्षाँऐं थी, परंतु दोनो मिलकर उस देश मे आत्मिक जागृति लाए। हिजकिय्याह ने पूरे देश को एक सच्चे पश्‍चाताप की ओर संचालित किया। हिजकिय्याह ने पूरे देश भर में काम आरम्भ किया। और जब आत्मिक जागृति आई, निरीक्षण के लिए उसने फसह पर्व का भी आयोजन किया। जब राष्ट्र अध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली बना, उसके बाद एक बहुत बड़ी परिक्षा उनके सामने आई। हिजकिय्याह उठकर उस धमकी भरे पत्र को परमेश्वर के भवन में, प्रभु के सामने पेश किया। मन परिवर्तन एक नई चेतना में प्रवेश कर यह एहसास दिलाता है कि आप परमेश्वर के हैं। और फिर बोझ से दबा हुआ विवेक, पाप से मुक्त होता है। एवं एक नई चेतना प्रवेश पाती है। हिजकिय्याह ने परिस्थिती का सामना अटूट विश्वास के साथ एक नेता के रूप मे किया।

आप अकेला आगे नही बढ़ सकते है। राष्ट्र, चर्च, एवं परिवार को इकट्ठा लेकर आगे बढ़ना चाहिए। और जब हम इकट्ठे आगे बढेंगे तो एक दूसरे को आगे की ओर बढ़ाऐंगे। हिजकिय्याह उस धमकी-पत्र को परमेश्वर के पास ले गया। एवं उसका मन स्थिर था। जो मन परमेश्वर पर एवं उसके वचनो पर ध्यान लगाता हो उस मन की स्थिति ऐसी ही होती है। यशायाह (37:32) "क्योंकि यरूशलेम से बचे हुए और सिय्योन पर्वत से भागे हुए लोग निकलेंगे। सेनाओ का यहोवा अपनी जलन के कारण यह काम करेंगे।" कुछ जगहो में तो कोई चमत्कार नही होता है, क्योंकि वहाँ परमेश्वर के प्रति चेतना नही है। विश्वास क्या है? ऐसा आभास जो परमेश्वर के प्रति चेतना रखता हो, यह जानते हुए कि वह आप में गहरी रूचि रखते हैं। हिजकिय्याह प्रार्थना कर रहा था तब परमेश्वर ने उसे एक प्रतिज्ञा दी। और सन्हेरीब की सेना एक ही रात मे तबाह हो गई। सन्हेरीब ने तो अपनी सेना पर भरोसा किया था परंतु वे सब अब मर चुके थे और उसे वहा से भागना पड़ा एवं उसके खुद के बेटे ने उसका कत्ल कर दिया। हिजकिय्याह के जीवन में दूसरी विपत्ती तब आई जब वह बिमार पड़ा। और तीसरी विपत्ती तब आई जब चापलूसी के द्वारा उसकी फिर से परिक्षा हुई। जब कोई बड़ी घटना घटती है, तो हम कई बार लापरवाह हो जाते है एवं, खुद को अध्यात्मिक रूप से नीचे गिरने का मौका देते है। और अपनी प्रार्थनाओं का महान उत्तर पाने के पश्‍चात शैतान हम पर वार करता है। लोगो की चापलूसी हिजकिय्याह के जीवन मे एक बहुत बड़ा संकट का कारण बन पड़ा था। और इसी बात में वह विफल हुआ। परमेश्वर चाहते है कि वे हमारे जीवन के द्वारा महिमा पाऐं। इसलिए हम सभी को आगे की ओर बढ़ना चाहिए। और हम कभी चापलूसी को स्वीकार न करे।

जो शिक्षा हम दूसरों को देते हैं, हमे भी वैसे ही जीवन जीना चाहिए। हमारे अंदर प्रेम एवं विश्वास की कमी न पाई जाए। चापलूसी भरी नाज़ुक स्थिति में भी हमें परमेश्वर के प्रति सच्चा बनके सारी महिमा उन्ही को देनी चाहिए।



- एन दानिएल।

संदेश-उपदेश - http://lefi.org/hindi/HindiSermons.htm