लेमेन्स इवैंजलिकल फैलोशिप इंटरनैशनल

संदेश-उपदेश

 

युद्ध का कवच

 

 

"... परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार नहीं थी।" (I शमूएल 17:50)

 

यह एक विचित्र कथन है। और वो भी एक युद्ध भूमि में। कही पर, किसी भी युद्ध क्षेत्र में ऐस विचित्र घटना न हुई होगी। "परन्तु दाऊद के हाथ में तलवार नहीं थी।" मगर शाऊल ने उसे एक युद्ध का कवच देने की कोशिश की। "दाऊद के हाथ में तलवार नहीं थी।" मगर उसके पास क्या था? परमेश्वर का वचन, बहुत शक्तिशाली और अभेध्य अस्त्र, उसके मूँह में था।

पलिश्ती-सेना के गोलियत ने जिस तरह जीवित परमेश्वर को ललकारा, उसे सुन कर दाऊद बहुत क्रोद्ध से भर गया। हमें भी उसी तरह महसूस करना चाहिए। जब गैर मसीही जन जीवित परमेश्वर का निरादर करे, हमारे दिल भी इस तरह दुखी होने चाहिए। क्या दाऊद के पास तलवार नहीं थी? एक शेर और एक भालू ने उस पर हमला किया। दाऊद ने उन दोनों को मार गिराया। यह पलिश्ती भी पशुता दिखा रहा था। दाऊद ने यह विश्वासकैसे पाया? उसकी शुरूआत कहॉं हुई? उस मोआबिन स्त्री रूत के साथ उसका आरंभ हुआ। रूत ने अपनी सास नाओमी के जीवन को बहुत ध्यान से देखा। और जब नाओमी ने रूत से उसे छोड़ कर जाने की  बात की, तो उसने इनकार कर दिया। रूत ने कहा, "मैं ऐसा नही कर सकती। जहाँ तू मरेगी, वहाँ मैं भी मरूंगी। तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा।" जब वह अपनी सास की जिन्दगी को परख रही थी, अपने पति और दो बेटों की मृत्यु के बाद भीाओमी को विश्वाससे भरा पाई। नाओमी की धार्मिकता और विश्वास बहुत दृढ़ था। और उस को यह लगा कि वह विचित्र देश इस्राएल, अपने स्वदेश से बढ़कर अपना लगेगा। ऐसे विश्वास में एक भव्य सुन्दरता है। विश्वास में कुछ आकर्षणीय बात तो नही। मगर विश्वास से भरा हमारा जीवन दूसरों के लिए आकर्षक बन सकता है।

उसके बाद कहानी से हमें पता चलता है कि रूत एक माँ बन गयी और नाओमी दादी बन गयी। उससे पहले उसकी दशा आशा रहित दिखने लगी थी। मगर, जहाँ एक विकसित विश्वास हो, वहाँ निराशा में भी आशा ज़रूर रहेगी। आशा के बुझते अंगारे को भी विश्वास की हवा दे सकते है।

जब मैं रूत के जीवन का अध्ययन करता हूँ, मुझे कई सत्य सीखने को मिलते है। रूत ने ओबेद को जन्म दिया। ओबेद से यिशै और यिशै का पुत्र दाऊद था। जब तुम्हारे घर में विश्वास का प्रारंभ होता है, वह बढ़ता जाता है। पीढ़ी दर पीढ़ी वह एक उच्च स्थान तक पहुँच गया। और दाऊद ने विश्वास की एक महान ऊँचाई हासिल की।

हम अनुमान लगा सकते है कि यिशै का एक आदर्श घर रहा होगा। घर में सबसे छोटा लड़का होते हुए, मातृवत, यह लड़का दाऊद ऐसे घरेलू वातावरण में पला-बढ़ा और शिक्षा पाई होगी। हमें यह पता नही कि हमारे बच्चे कैसे सीखेंगे। मैं कैसे आधी रात तक घंटों भर सभाओं में बैठकर सीखता था। वहाँ मेरे माता-पिता, मिशनरी और दूसरे मसीही जन उपस्थित थे। हम बैठकर परमेश्वर का वचन सुनते थे। मगर मुझे नही मालूम मैं किस हद तक समझ पाता था। उसके साथ-साथ, परमेश्वर को मैं बहुत आदर और सम्मान देता था। इन सब बातों ने मिलकर मेरे विश्वास को उच्च स्तर तक बढ़ाने में सहायता की। निश्चित ही यह सब, किशोर लड़के - लड़कियों के व्यवहार में चाहने योग्य परिवर्तन ला सकते है। मगर दाऊद के मन में एक 'तलवार' का विकास हो रहा था। और बेशक वह एक शक्तिशाली तलवार है।

"कि वे जाति-जाति से पलटा चुकाएं, और राज्य-राज्य के लोगों को दण्ड दे; कि उनके राजाओं को जंजीरों से, और उनके प्रतिष्ठित पुरुषों को लोहे की बेड़ियां जकड़ रखें; कि उनको ठहराया हुआ दण्ड दें; यही उसके भक्तों के लिए सम्मान है। याह की स्तुति करो।" (भजन संहिता 149:7-9)

रणभूमि के कई अस्त्र-शस्त्र है, जो मनुष्यों को दिखाई नही देते। हम अपने बच्चों को इस युद्ध-अस्त्रों के बारे सिखाते है और उनको देते हैं। माता-पिता द्वारा की गई विश्वास भरी प्रार्थना इन शस्त्रों की धार को तेज करती है। इसके द्वारा तुम अपने पड़ोसियों को बान्ध रहे हो। तुम्हारा वहाँ होना उनको काबू में रखता है। तुम्हारे चारों तरफ कई दुष्ट लोग है जो बहुत घिनौने काम करते हैं। उनमें परमेश्वर का भय नही है। परमेश्वर ऐसे जघन्य लोगों को हमारे घरों से दूर रखते है। कई बार, जब वे लोग हमारे घरों की पवित्रता को भंग करने के लिए इकट्ठे होते हैं तो परमेश्वर उनका नाश करते है। मसीही घरों की पवित्रता ही उनका अनमोल खजाना है। किसी भी कीमत पर तुम्हें उसको संभाल कर रखना पड़ेगा।

मैं एक स्त्री को जानता हूँ जो अमीरों के साथ बड़ा घुल-मिल कर रहती थी। उसकी इक्लौती सुन्दर सी बेटी थी। मगर माँ को उसका मसीहियों के साथ उठना-बैठना पसन्द नही था। और वह अपनी बेटी को गैर मसीहियों के बीच ले जाती थी। वह पढ़ी-लिखी तो थी और उसका विवाह एक अमीर व्यक्ति के साथ हुआ। मगर उसके पास कोई हथियार नहीं था। हाय, उसकी जिन्दगी बरबाद हो गयी। उसके परिवार के लोग भी अपना सर पानी के ऊपर नही रख पाये। मैं उसके दुख को समझ सकता हूँ।

हम एक दूसरों को सहारा देते रहें। हमें विश्वास के द्वारा अपने मसीही घरों में धार्मिकता को बढ़ाते रहना चाहिए। कुछ लोग बहुत दुष्ट होते है। ऐसे लोग कलीसियाओं में भी अपनी दुष्टता को लाते है। ऐसा करना विपत्ति का साथ देना है।

     हमें इस फैलोशिप की पवित्रता को भी संभाल कर रखना है। हमें यह समझना है, "अगर मैं तुम्हारे परिवार की रक्षा करता हूँ तो परमेश्वर मेरे परिवार की रक्षा करेंगे।"

दाऊद गोलियत को मारने के लिए आगे बढ़ा। आंग्ल युद्ध में धर्मी व्यक्ति जनरल मॉन्टगोमेरी ने युद्ध लड़ा। मैंने उनकी रणनीति का अध्ययन किया। उन्होंने कैसे जर्मनी में प्रवेश किया उनकी मॉं एक परमेश्वर का भय माननेवाली स्त्री थी। उसका बेटा, रोज बाइबल एक पद जब तक याद कर लेता, तब तक वह उसे एक कॅप चाय भी नही देती थी। युद्ध भूमि में उनके साथ हमेशा एक बाइबल रहता था। वे हर रोज बाइबल हाथ में लिए एक मील दौड़ा करते थे। बाद में अंग्रेजी सेना ने, हिटलर पर बहुत आसानी से विजय पायी। मॉन्टगोमेरी का विश्वास इंग्लैण्ड का सहारा बना।

तुम्हें अनुग्रह में बढ़ना है। याद रखें की हमारे मसीही घरों में हम जो पाते है वह अमूल्य है। पवित्रता को तुच्छ कभी नही समझना चाहिए। कहीं और, कभी भी तुम उसको पा नहीं सकोगे। जब मसीही घरों में विश्वास घटता है तो विश्वासी आदमी नहीं उठते। एक ऐसा आदमी ही मिशनरी कहलाता है जिसके पास तलवार हो और युद्ध का कवच हो।

हम सब अन्धकार की शक्तियों के विरुद्ध, पहले से ही शस्त्र ले कर तैयार रहें। ऐसा ना हो कि हमारे चारों तरफ घिरी उस बुराई के सामने हार माननी पड़े, हम शस्त्र-सज्जित तैयार रहें।

- एन दानिय्येल।